यहाँ भूटान में महिलाओं द्वारा संचालित होमस्टे न केवल पर्यटकों को सांस्कृतिक अनुभव प्रदान कर रहे हैं, बल्कि पारंपरिक विरासत को संरक्षित करने, स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और सामुदायिक पर्यटन को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
महिला-संचालित होमस्टे: भूटान की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
भूटान के 20 जिलों में से एक, ट्राशीगांग ड्ज़ोंगखाग के नकत्सांग में, डेकी पेल्डेन पिछले आठ वर्षों से अपने मेहमानों का स्वागत कर रही हैं। उनका पारंपरिक भूटानी शैली में बना घर—जिसमें मिट्टी की दीवारें, पत्थर की नींव और ढलान वाली छतें हैं—आज एक सफल होमस्टे बन चुका है। हालांकि उनके घर तक पहुंचने के लिए 9 किलोमीटर लंबा उबड़-खाबड़ रास्ता आज भी एक चुनौती बना हुआ है, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई है। आज उनके यहाँ पर्यटक न केवल ठहरने आते हैं, बल्कि पारंपरिक भूटानी भोजन और गाँव की विशेष शराब का स्वाद भी लेते हैं।
होमस्टे से आर्थिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण
भूटान अपने ऊँचे पहाड़ों, गहरी घाटियों, खूबसूरत दृश्यों, भव्य किलों (ड्ज़ोंग) और मठों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की अनूठी संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को महसूस करने के लिए ग्रामीण इलाकों में बने होमस्टे सबसे बेहतरीन विकल्प हैं। भूटान के पर्यटन विभाग द्वारा प्रमाणित ये होमस्टे न केवल पर्यटकों को सस्ती और वास्तविक ग्रामीण जीवनशैली का अनुभव कराते हैं, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय का अवसर भी प्रदान करते हैं।
भूटान के पर्यटन विभाग का उद्देश्य हरित, टिकाऊ और समावेशी पर्यटन को बढ़ावा देना है। देश में "हाई-वैल्यू, लो-वॉल्यूम" पर्यटन नीति अपनाई गई है, ताकि भूटान की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर प्रभावित न हो। इस नीति के अनुरूप, भूटान में कई महिलाएँ अपने होमस्टे चला रही हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रही हैं।
रसोई से पर्यटन तक: ग्रामीण महिलाओं की सफलता की कहानियाँ
हाआ गाँव में वांगमो वांगचुक अपने पति के साथ होमस्टे चलाती हैं। उनके यहाँ ठहरने वाले मेहमानों को उनके किचन गार्डन से ताजी हरी पत्तियाँ चुनने और पारंपरिक भूटानी व्यंजन बनाने का अनुभव मिलता है। होमस्टे में मेहमान पारंपरिक शैली में, फर्श पर बिछी गद्दियों पर बैठकर भोजन करते हैं और बुखारी (लकड़ी से जलने वाला हीटर) के पास गर्माहट का आनंद लेते हैं।
यहाँ पर्यटकों को होएनटे (बकव्हीट डंपलिंग्स), इमा डात्शी (मिर्च और चीज़ की करी) और एजय (मसालेदार भूटानी चटनी) बनाने का मौका भी मिलता है। पारंपरिक मक्खन वाली चाय का स्वाद लेना हर मेहमान के लिए एक नया अनुभव होता है।
परिवार और समुदाय के लिए नई संभावनाएँ
पास ही हाआ के डुमचो घाटी में चोडेन का होमस्टे, जो कभी एक साधारण फार्महाउस था, आज एक लोकप्रिय ठहरने का स्थान बन गया है। उन्होंने अपने घर में नए कमरे जोड़े और नए कौशल सीखे ताकि मेहमानों को बेहतर अनुभव मिल सके। 150 किलोमीटर दूर बुली, ज़ेमगांग ड्ज़ोंगखाग में येशी चोडेन ने 2021 में अपने होमस्टे की शुरुआत की। एक बड़े किसान परिवार से होने के बावजूद, उन्होंने अपनी आजीविका को विविधता देने के लिए पर्यटन में कदम रखा। हालांकि, समुदाय की प्रारंभिक संदेहपूर्ण प्रतिक्रिया एक चुनौती थी, लेकिन उन्होंने सरकारी प्रशिक्षण लिया और अपने होमस्टे को सफल बनाया।
संस्कृति और विरासत का संरक्षण
इन होमस्टे में ठहरने वाले पर्यटकों को पारंपरिक भूटानी हस्तशिल्प जैसे बुनाई, लकड़ी पर नक्काशी, मूर्तिकला और चित्रकला सीखने का अवसर मिलता है। इससे स्थानीय कारीगरों और समुदाय को आर्थिक लाभ होता है और यह भूटान की पारंपरिक कला को संरक्षित करने में भी मदद करता है।
भूटान के पर्यटन विभाग के निदेशक, डामचो रिनज़िन कहते हैं, "महिला-संचालित होमस्टे भूटान की सांस्कृतिक विरासत को बचाने और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने का बेहतरीन उदाहरण हैं। इनसे यह साबित होता है कि सशक्तिकरण की शुरुआत घर से होती है।"
संघर्ष से सफलता तक: चेनचो डेमा की कहानी
पारो घाटी में रहने वाली चेनचो डेमा 2017 से अपने होमस्टे के ज़रिए मेहमानों को पारंपरिक भूटानी जीवनशैली का अनुभव करा रही हैं। उनकी आजीविका मुख्य रूप से खेती पर निर्भर थी, लेकिन उन्होंने होमस्टे शुरू कर अपने परिवार की आय बढ़ाई। उन्होंने अपने घर को पर्यटन के अनुकूल बनाने के लिए कमरे और सुविधाएँ विकसित कीं।
हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण 2020 से 2023 तक उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ, लेकिन अब उनका होमस्टे हर साल लगभग 300 मेहमानों का स्वागत करता है। चेनचो डेमा कहती हैं, "मेहमानों की मेजबानी करना हमारे लिए बहुत फायदेमंद है। इससे हमें अतिरिक्त आय मिलती है, जिससे हम अपने बच्चों की पढ़ाई और धार्मिक यात्राएँ पूरी कर पाते हैं।"
पर्यावरण-संरक्षण और सतत पर्यटन
भूटान में सामुदायिक पर्यटन पहल न केवल संस्कृति और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है, बल्कि पर्यावरण-संरक्षण को भी प्राथमिकता देती है। इको-फ्रेंडली आवास, कचरा प्रबंधन कार्यक्रम, और जिम्मेदार पर्यटन प्रथाएँ इन होमस्टे की खासियत हैं।
भूटान की महिला-संचालित होमस्टे पहल यह दर्शाती है कि कैसे दृढ़ संकल्प, प्रशिक्षण और सामुदायिक सहयोग से ग्रामीण महिलाओं के लिए नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। जैसे पेल्डेन अपने पुश्तैनी घर को एक होमस्टे में बदलकर इसे अपनी आजीविका का जरिया और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का माध्यम बना पाई हैं, वैसे ही भूटान की कई महिलाएँ पर्यटन के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं।
"यह सिर्फ एक ठहरने की जगह नहीं है, बल्कि एक अनुभव है—इतिहास, संघर्ष और भूटानी मेहमाननवाज़ी से बुना हुआ," यही संदेश इन होमस्टे से मिलता है।
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