[विशेष] एंडिया पार्टनर्स ने ‘Game On!’ खेल पहल की शुरुआत की, स्टार्टअप्स में वेलबीइंग को बढ़ावा देने के लिए कदम
स्टार्टअप जगत में वेलनेस और उद्यमिता को जोड़ते हुए एंडिया पार्टनर्स ने ‘Game On!’ नामक एक अनोखी खेल-केंद्रित पहल की शुरुआत की है। यह पहल विशेष रूप से भारत के स्टार्टअप समुदाय के लिए तैयार की गई है। प्रतिष्ठित पुल्लेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी के सहयोग से शुरू की गई यह मुहिम उद्यमियों में लचीलापन, नेतृत्व क्षमता और मानसिक फिटनेस को बढ़ावा देने का प्रयास है। इसका पहला संस्करण 6–7 जून को बेंगलुरु में आयोजित होगा, जिसमें बैडमिंटन, टेबल टेनिस और बॉक्स क्रिकेट जैसी प्रतिस्पर्धात्मक खेल गतिविधियाँ शामिल होंगी।
जहाँ खेल और स्टार्टअप्स मिलते हैं
जैसे खेलों में अनुशासन, टीमवर्क और स्थिरता जरूरी होते हैं, वैसे ही ये गुण स्टार्टअप्स की दुनिया में भी अनिवार्य हैं। चाहे वह कोई उत्पाद लॉन्च करना हो या बाजार की कठिनाइयों का सामना करना—खिलाड़ी और उद्यमी दोनों को ही अनुकूलन, एकाग्रता और असफलता से उबरने की कला सीखनी पड़ती है। यही कारण है कि माइकल जॉर्डन, सेरेना विलियम्स, टोनी हॉक, मारिया शारापोवा, और भारत में अनिल कुंबले, विराट कोहली और युवराज सिंह जैसे दिग्गज सफलतापूर्वक उद्यमिता की ओर बढ़ पाए हैं।
पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन और भारत के मुख्य बैडमिंटन कोच पुल्लेला गोपीचंद, जो एंडिया पार्टनर्स की ट्रस्टी बोर्ड में भी शामिल हैं, कहते हैं:
“खेल आपको दबाव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना सिखाता है, अनुशासन में रहना और तेजी से अनुकूलन करना—ये हर उद्यमी के लिए जरूरी कौशल हैं।"
एक उद्देश्यपूर्ण टूर्नामेंट
Game On! केवल खेल आयोजन नहीं है, यह भारत के स्टार्टअप परिदृश्य में एक स्थायी वेलनेस संस्कृति को बढ़ावा देने का माध्यम है। एंडिया पार्टनर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और पूर्व टेबल टेनिस खिलाड़ी सतीश अंद्रा बताते हैं:
“हमने ऐसे खेल चुने हैं जो समावेशी हैं और ऊर्जावान भी। ये स्टार्टअप जीवन का प्रतिबिंब हैं—तेजी से निर्णय लेना, समन्वय करना और निरंतर सीखना।"
यह टूर्नामेंट साल में दो बार मुंबई और दिल्ली में आयोजित किया जाएगा, और आगे चलकर हैदराबाद और चेन्नई में भी विस्तार की योजना है। इसमें भाग लेने वाले स्टार्टअप्स से एक नाममात्र शुल्क लिया जाएगा।
स्वास्थ्य, संघर्ष और समर्पण
हाल के वर्षों में स्टार्टअप्स में फाउंडर वेलबीइंग को लेकर गंभीर चिंताएँ उभरकर आई हैं। कुछ उद्यमियों की असामयिक और दुखद मृत्यु—जैसे अमित बनर्जी (Table Space), रोहन मिर्चंदानी (Epigamia), रोहन मल्होत्रा (Good Capital) और अंबरीश मूर्ति (Pepperfry)—ने इस ओर ध्यान खींचा है कि अत्यधिक तनाव और अस्वस्थ कार्य संस्कृति कितनी घातक हो सकती है।
2024 में YourDOST के एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 31% भारतीय उद्यमी ‘इम्पोस्टर सिंड्रोम’ से जूझते हैं, जिसका मुख्य कारण अत्यधिक प्रदर्शन दबाव है। सतीश अंद्रा कहते हैं:
“हम यह नहीं कह सकते कि यह तनाव है, जीन्स हैं या जीवनशैली—लेकिन डेस्क से हटकर खेल में उतरना एक अच्छी शुरुआत है।”
Cult.fit, Darwinbox, ekincare और Sugar.fit जैसे हेल्थ-फोकस्ड स्टार्टअप्स को समर्थन देने वाले एंडिया का मानना है कि वेलबीइंग भी पूंजी जितनी ही महत्वपूर्ण है।
“स्वस्थ फाउंडर ही मजबूत कंपनी बनाते हैं,” अंद्रा कहते हैं। “हम वेलनेस को खर्च नहीं, बल्कि दीर्घकालिक निवेश मानते हैं।”
यह केवल खेल नहीं है
Saybrook University सहित कई अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि खेलों में भागीदारी चिंता और अवसाद को कम करती है। अंद्रा कहते हैं:
“जैसे खिलाड़ी निर्णायक क्षणों के लिए वर्षों तैयारी करते हैं—वैसे ही उद्यमी एक इन्वेस्टर पिच या प्रोडक्ट लॉन्च के लिए तैयार होते हैं। ट्रेनिंग कभी रुकती नहीं।”
उनका मानना है कि यह टूर्नामेंट प्रतिभागियों में ऐसे नेतृत्व गुण सामने लाएगा जो बोर्डरूम में दिखते नहीं हैं—जैसे संकट में धैर्य, टीम का समर्थन, और दबाव में संवाद।
एक सांस्कृतिक बदलाव की ओर
यह पहल स्टार्टअप समुदाय में पहले से चल रही वेलनेस पहलों—जैसे ‘Heartfulness Startup Forum and Retreat 2025’—को भी पूरक बनाती है, जो हाल ही में हैदराबाद के कन्हा शांति वनम में आयोजित हुआ था। वहाँ उद्यमियों ने भावनात्मक लचीलापन, ध्यान और दिल से नेतृत्व करने जैसे विषयों पर चर्चा की।
नियमित रूप से ध्यान करने वाले गोपीचंद कहते हैं:
“रिकवरी भी प्रदर्शन का हिस्सा है। खेल और स्टार्टअप दोनों में आपको रुकना, सोच विचार करना और अपने उद्देश्य से दोबारा जुड़ना जरूरी है।”
वह निष्कर्ष में कहते हैं:
“Game On! जैसी पहलें हमें भूमिका और लक्ष्य से ऊपर उठकर जुड़ने का अवसर देती हैं। ये छोटे-छोटे क्षण हमें स्पष्टता, उद्देश्य और संतुलन के साथ लौटने में मदद करते हैं—यही दीर्घकालिक सफलता का मूल है।”
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