ज़ोमैटो की पेरेंट कंपनी ईटरनल ने विदेशी स्वामित्व को 49.5% तक सीमित किया, घरेलू निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम
भारत के तेजी से विकसित हो रहे स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत, फूड-टेक दिग्गज ज़ोमैटो की पेरेंट कंपनी ईटरनल (Eternal) ने कंपनी में कुल विदेशी स्वामित्व को 49.5% तक सीमित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की उस टिप्पणी के कुछ ही दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स में भारतीय निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया था।
भारतीय स्वामित्व की ओर बढ़ता झुकाव
Startup Mahakumbh कार्यक्रम में बोलते हुए, मंत्री गोयल ने विदेशी निवेशकों के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “काश इन स्टार्टअप्स में ज़्यादा भारतीय निवेशक होते, विदेशी नहीं। हमें ज़्यादा भारतीय निवेशकों को इस खेल में लाने की ज़रूरत है।”
यह टिप्पणी भारतीय नवाचार और उद्यमिता को देश की पूंजी से संचालित करने की एक व्यापक सोच को दर्शाती है। ईटरनल का यह कदम इस बदलते दृष्टिकोण को मजबूत करता है कि भारत में पनप रही बड़ी कंपनियों का नियंत्रण भारतीयों के हाथ में होना चाहिए।
एफडीआई नियम और परिचालन पर प्रभाव
भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों के अनुसार, बहुसंख्यक विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियां सीधे तौर पर इन्वेंटरी (स्टॉक) का स्वामित्व या नियंत्रण नहीं रख सकतीं। यह नियम अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रहा है।
ईटरनल के विदेशी स्वामित्व को 50% से कम करने के फैसले से इसके ग्रुप की कंपनियां — जैसे कि ज़ोमैटो और ब्लिंकिट (Blinkit) — अब भारत के एफडीआई नियमों के अनुरूप इन्वेंटरी स्वामित्व का रास्ता खोल सकती हैं।
ब्लिंकिट, जो कि ईटरनल की एक क्विक-कॉमर्स कंपनी है, फिलहाल बिना इन्वेंटरी के मॉडल पर काम करती है और तीसरे पक्ष के विक्रेताओं के जरिए ऑर्डर पूरा करती है। स्वामित्व का पुनर्गठन करके, कंपनी भविष्य में अपने परिचालन मॉडल में बदलाव कर सकती है।
ज़ोमैटो का QIP और घरेलू निवेश की भूमिका
हाल ही में ज़ोमैटो ने ₹8,500 करोड़ का क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) जारी किया, जिसे भारी संख्या में घरेलू संस्थागत निवेशकों से समर्थन मिला। इसके परिणामस्वरूप कंपनी का विदेशी स्वामित्व 50% से नीचे आ गया, जिससे उसे अब इन्वेंटरी-आधारित व्यापार मॉडल अपनाने की स्वतंत्रता मिलेगी।
यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि ज़ोमैटो और ब्लिंकिट अपनी लॉजिस्टिक्स और फुलफिलमेंट क्षमताओं को तेजी से विस्तारित कर रहे हैं।
ज़ेप्टो भी उसी राह पर
यह रुझान सिर्फ ईटरनल तक सीमित नहीं है। क्विक-कॉमर्स क्षेत्र की एक अन्य कंपनी Zepto, जो कि जल्द ही आईपीओ लाने की तैयारी में है, वह भी घरेलू स्वामित्व बढ़ाने के प्रयास में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, Zepto अपने कैप टेबल में संतुलन लाने के लिए भारतीय निवेशकों को सेकेंडरी शेयर सेल के जरिए हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है।
स्टार्टअप्स कर रहे हैं डोमिसाइल और अनुपालन पर पुनर्विचार
ईटरनल का यह फैसला उस व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा है जिसमें भारतीय स्टार्टअप्स अपने कानूनी ठिकानों और स्वामित्व संरचनाओं की समीक्षा कर रहे हैं। जैसे-जैसे भारत का IPO बाज़ार मजबूत होता जा रहा है और नियामकीय ढांचे आसान हो रहे हैं, वैसे-वैसे कई स्टार्टअप्स विदेशी पंजीकरण से वापस भारत में आने की योजना बना रहे हैं।
यह बदलाव केवल अनुपालन का विषय नहीं है, बल्कि यह भारतीय संपत्तियों और बौद्धिक संपदा पर भारतीय नियंत्रण को लेकर बढ़ती राष्ट्रवादी भावना को भी दर्शाता है।
व्यापक परिदृश्य: रणनीतिक क्षेत्रों में एफडीआई को लेकर संतुलन
जहां एक ओर घरेलू निवेश को बढ़ावा देने की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार चुनिंदा क्षेत्रों में एफडीआई के नियमों को भी सरल कर रही है। उदाहरण के लिए, बीमा क्षेत्र में अब 100% विदेशी निवेश की अनुमति दी जा रही है। यह एक संतुलित दृष्टिकोण है जहां तकनीक और ई-कॉमर्स जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में घरेलू नियंत्रण को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन पूंजी-गहन क्षेत्रों में विदेशी निवेश का स्वागत किया जा रहा है।
निष्कर्ष
ईटरनल द्वारा ज़ोमैटो में विदेशी स्वामित्व को 49.5% तक सीमित करने का निर्णय भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। जैसे-जैसे देश में आईपीओ गतिविधि तेज़ हो रही है और निवेश के पैटर्न बदल रहे हैं, यह कदम भारतीय नियंत्रण और नवाचार को प्राथमिकता देने की दिशा में एक मिसाल बन सकता है। यह शुरुआत हो सकती है एक ऐसे डिजिटल भारत की, जो भारतीयों के स्वामित्व में हो और भारतीयों द्वारा संचालित हो।
0 Comments